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Tuesday, October 24, 2017

भोजपुरी कहावत




मियाँ जी दूबर काहे? शहर का अनेसा से.

जवना खातिर अलगा भइनी, तवने मिलल बखरा.

सौतिन के खीस कठौती पर.
पांच कवर भीतर, तब देवता पित्तर!
लंगटा पहिरी त का, आ बिछाई त का?
लुब लुब करे बहुरिया के जीव, कब हटसु सासू जे चाटीँ घीव !
आगे नाथ ना पाछे पगहा, बिना छान्ह के कूदे गदहा.
चिरई के जान जाव, खवइया के सवादे ना!
दुलहवो के भाई, कनियवो के भाई!
एक त काली अपने गोर, ओपर से लिहली कमरी ओढ़!
अपना दुख से भइनी बाउर, के कूटी सरकारी चाउर?
जइसन कइलऽ हो कुटुम्ब, तइसन पवलऽ हो कुटुम्ब!
जवना हाँड़ि के झाप ना, ऊहाँ बिलाई के लाज ना!
ना काम के ना काज के दुशमन अनाज के.
जब जइसन, तब तइसन. ना करे, त, मरद कइसन?
तोरा बैल मोरा भैंसा, हम दूनों के संगत कइसा?
एक लाख पूत, सवा लाख नाती, ओकरा घरे दिआ ना बाती.
पोखरा में मछरी, नव नव कुटिया बखरा.
चलनी दूसे सूप के जेमें बहत्तर छेद
एह हाम‍‍ हूम में देवान जी के तजिया
हँसुआ का बिआह में खुरपी के गीत.
इतर के पानी भीतर गइल, चुम्मा लेत में जात गइल.
इतर के पानी भीतर गइल, चुम्मा लेत में जात गइल.
बहत गंगा में हाथ धोवल

Bhojpuri Poerm

जीवन के हमर महकइलू तू अइसन
खुसबू से फुलवारी महकत जइसन
हर जनम हो साथ तोहार
समुन्दर में पानी रहेला जैसे
छुपाली दिल के कोनामा में
आँख में ख्वाब रहेला जैसे
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