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Wednesday, September 20, 2017

बतिया बा ओकर

बतिया बा ओकर दर्द और अहसास
चेहरा पर ख़ुशी मगर मनवा बा उदास

चाहे रही केतना भी दुरी आज
रहत बिया उ हरदम दिल के आस पास

रोजरोज सपना सजावे ओकर तिरिया
केहू त बा ओकर खासमखास

सपना सबेरे उठते ही टूटत बा रोजरोज
फिर भी ना जानी काहे नइखी हम निराश
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