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Saturday, January 3, 2015

bhojpuri inspirational story

ईज्जत पवेके चाह ह तानी त ईज्जत दी। 

एक बहुत प्रतापी राजा रहलन।  उ एगो बहुत बड्का युद्ध केइलन, जे मे हजारो आदमी मरल गैइल।  राजा अगिला दिन युद्ध के मैदान मे  अपन मन्त्रि के साथे  देखे गैइलन की हम केतना लोगोन के मरनी ह? मैदान ए जंग मे  घुम्टे घुम्टे उ देखता की कुछ  गिद अपने मे बातचीत करात रहे आ लास् के उपर से जात रहे।  राजा के मंत्री जनावर के बोलि बुझत रहलन। मंत्री के ओर देख के राजा कह्लन मंत्री बाताव इ गीद  अपने मे का बातचीत कर रहल बा ? मंत्री जी ध्यानसे गिद के बाट सुनके कहलन की महाराज इ कुच अएइसन बाट कर रहल बा की उ कहे के लायक नइखे। राजा के उत्सुकता ओर बढ गेइल, फेन कह्लन तोह के बतावे के परि इ का कहत बा ? मंत्री जी कह्लन सरकार एकर बाट छोड डी बनिया होइ कि रौवा ना जानी कि इ क कहत बा ? जब राजा बतावे खातिर मंत्री जी पर जोर दललन त  मंत्री जी कहनि की इ बडका गिद छोटका गिद्से कहता भाई कवान मूर्ख एतना आदमी के मार देहलख।  इ बाट सुनके राजाके आश्चर्य लागल।  कहाँ गर्वसे उनकर छाती फुलत जात रहे की हम हेतना आदमी के मार डेनी।  हम केतना बड्का योद्धा बानी।  राजा अपन मंत्री से कहतारण की इ गिद से पुछ बड्का लडाई करे वाला मूर्ख कैसे ह ? तब मंत्री जी गिद के भाषा मे बड्का गिद से पुछ्लन की इगो सुरबीर राजा , एतना बड्का लडाई करके हजारो आदमी के मार देहले बारण त उनकाके तु मुर्ख कैसे कह सकत बार ? गिद जबाब देते कहलन हम उ आदमी के मुर्ख एसे कह्तानी की हमनी के एकाद्गो जनवार मारला पर हि हमनी के भुख शान्त नाहोला त हमनी के टीसर जनावर के मरेनी सन्।  चार पाच गो जनावर मारला के बाद त बड्का से बड्का जनावर के भुख शान्त हो जाला। लेकिन हमनी के इतना हि जनावर के मरेनी सन् जेतना हमनी के खाएके आवस्यक रहेला।  हम उ आदमी जे एतना मार देहलाख ओकराके एसे मूर्ख कहतानी की उ मारला के बाद एके खात नइखे।  लागाता की ओकर भूख शान्त बा।  बिना भूख के लोगोन के मारत जातबा , एहिसे हमराके उ आदमी के मूर्ख कहेके परल। 
बाट साधारण लगत लेकिन एकरा पिछे मानव समाज ला केतना बड्का उपदेश बा - हमनी के जनावर से भी निच होगइल बानी।  जब हमनी के कवनो के जिन्दा ना कर सकतानी त हमनी के मारेके का अधिकार बा ? जब हमनी  के लाड प्यार दया नैखी देसकत त् ओकरा के सतावे के हमनी के कहासे अधिकार बा ? जब हमनी  के अपन परिवार समाज के प्रेम के फूल आ एकता के सुत् मे ना बान सकतानी सन् तब हमनी के समाज मे घृणा फैलावेके फूट दालेके क अधिकार बा ? ओहिसे जिन्दगि मे प्रेम पवेके चाहतानी त प्रेम दी , ईज्जत पवेके चाह ह तानी त ईज्जत दी। 

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