जब सुरज ना थाकेला त हम कैसे थाक सकतानी ?
जब सुरज चलेला अकेला त हम काहे डरी ?
पुरुव से पछिम, सुरुसे अंत तक
जब चलेला उ अकेला , त हम कैसे पिछे हात सकतानी ?
अकेले हम तय करब मन्जिल
चाहे केहू साथ रहे या ना रहे
सब कुछ आसान बा ई दुनिया मे
समस्या त उ ह जेकर हल नइखे
उल्झन त अइबे करि रस्ते मे
खेल के देखा देब हम भी सिकन्दर हइ
हम न चाहम उदेके नसिब से
हम त उडम कबिलियत के दम से
आराम सुकुन से न मिलि मन्जिल
पत्थर फोर के निकाल देब पानी
छोत से छोत काम से करब सुरुवात
आगे बडा देम , वृक्ष भी कभी विज रहेला
बन के सीतारा जगमगा देब पुरा दुनिया मे
जइसे रहेला चाँद सितारण के बीच मे
जब सुरज चलेला अकेला त हम काहे डरी ?
पुरुव से पछिम, सुरुसे अंत तक
जब चलेला उ अकेला , त हम कैसे पिछे हात सकतानी ?
अकेले हम तय करब मन्जिल
चाहे केहू साथ रहे या ना रहे
सब कुछ आसान बा ई दुनिया मे
समस्या त उ ह जेकर हल नइखे
उल्झन त अइबे करि रस्ते मे
खेल के देखा देब हम भी सिकन्दर हइ
हम न चाहम उदेके नसिब से
हम त उडम कबिलियत के दम से
आराम सुकुन से न मिलि मन्जिल
पत्थर फोर के निकाल देब पानी
छोत से छोत काम से करब सुरुवात
आगे बडा देम , वृक्ष भी कभी विज रहेला
बन के सीतारा जगमगा देब पुरा दुनिया मे
जइसे रहेला चाँद सितारण के बीच मे