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Friday, January 2, 2015

आपन संस्कृति अपन पहिचान ह !


आजकल के लईकी सन पर आधुनिकता के अइसन नशा सवार बा की पूछ मत ! सब केहू के कंगना रानौते बने के बा ! ई समस्या गाँव के लड़कियन में कुछ जादे ही बा ! 
गाँव समाज खातिर ई समस्या कुछ ज्यादा ही बड़ा हो गइल बा ! खास तौर में हमनी के भोजपुरी समाज में ! ई सब में दोष पूरा समाज के भी बा ! पहिले हमनी के गाँव में पूजा पाठ हवन कीर्तन भजन आदि हमेशा होत रहत रल ! सब लईका लड़की बुढ पुरनिया औरत मर्द सब लोग धर्म काम में लागत रहत रहे ! ई सब से सबके मन पवित्र होत रहे आ सबलोग शान्ती से जीवन जीयत रहे लोग ! अब गाँव में भी सबका घरे टीवी हो गइल बा आ सबकर मनोरंजन के साधन ईहे सब नाच गाना हो गइल बा ! अब लईका लड़की जईसन देखहिये सन ओइसने नु काम कर्हियेसन !
हम मन तानि के पश्चिमी समाज technology मे आगे बा आ हम्नी सभिन संस्कृति मे आगे  बनि सन् ओहि से कह तानी कि laptop त ओनेके use करी लेकिन necktop आपन use करी।   
अब हमनी के जरूरत बा फेन से आपन जीवन व्यवस्था के ठीक कईला के ! आपन समाज आपन गाँव आ आपन धर्म के अच्छा से समझला के ! अगर हमनिके अभी से ई सब शुरू ना करेमसन त होत देर हो जाई !
इ भोज्पुरियाँ ब्लग मे रौवा  लोगोन के सवागत बा।

हम भोजपुरी भाषा के बारेमे बहुत खोज प्रयास कईनी  लेकिन सही जानकारी न मिल्लाके कारण से हम अगो भोज्पुरियाँ  ब्लोग सुरु कर तानी  हमार मक्सद भोजपुरी भाषा के संरक्षण आ बिकाश करेके ह।  
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