घर वा मे आइल ललनवा
निहाल होइले माइ बाबु
खन्दान के बदल बंश
देखिके निहाल भैले दादा दादी
निक लागे घरवा दुवरवा
दुल्हीन लेले बारीन गोदि मे ललनवा
घरे घरे बताइल पुरी हलुवा
निहाल भैले चाचा चाची उमेश कुमार गुप्ता
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घर वा मे आइल ललनवा
निहाल होइले माइ बाबु
खन्दान के बदल बंश
देखिके निहाल भैले दादा दादी
निक लागे घरवा दुवरवा
दुल्हीन लेले बारीन गोदि मे ललनवा
घरे घरे बताइल पुरी हलुवा
निहाल भैले चाचा चाची उमेश कुमार गुप्ता
खुन से लिखल संविधान ह
बेइमानी के खुला किताब ह
नजर मे बा सत्ता कुर्सी
दिल मे दाव पेच
गिरगीत के जैसन रङ्ग बद्लेल
नजर आवेल चुनाव मे
बाँट के देश के कइल गठबन्धन
बिना पेनी के लोटा का काम के
उमेश कुमार गुप्ता